Saturday, July 24, 2010

Kabeer -- Mann Ki shanti Ke Liye

 

 

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय



माला फेरत जुग भया, फिरा मन का फेर
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर


सुख मे सुमिरन ना किया, दु: में करते याद
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद


बुरा जो देखन में चला, बुरा ना मिलया कोई,
जो मन खोजा आपना तो मुझ से बुरा ना कोई


साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय
मैं भी भूखा रहूँ, साधु ना भूखा जाय



जाती ना पूछो साधु की, पूछ लीजिये ग्यान
मोल करो तलवार की पड़ी रेहेन जो मयान.

 

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