Saturday, August 28, 2010

देश में उद्योगों का वितरण

देश में उद्योगों का वितरण समरूप नहीं है। उद्योग कुछ अनुकूल अवस्थितिक कारकों से कुछ निश्चित स्थानों पर केंद्रित हो जाते हैं। उद्योगों के समूहन को पहचानने के लिए कई सूचकांकों का उपयोग किया जाता है जिनमें प्रमुख हैं-

1- औद्योगिक इकाइयों की संख्या

2- औद्योगिक कर्मियों की संख्या

3- औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली प्रयुक्त शक्ति की मात्रा

4- कुल औद्योगिक निर्गत वनजचनज-

5- उत्पादन प्रक्रिया जन्य मूल्य आदि।

भारत के औद्योगिक प्रदेश और जिले

 

 

मुख्य औद्योगिक प्रदेश-

कुल-8 मुख्य औद्योगिक प्रदेश है-

1- मुंबई-पुणे प्रदेश 2- हुगली प्रदेश 3- बंगलौर-तमिलनाडु प्रदेश 4- गुजरात प्रदेश 5- छोटानागपुर प्रदेश 6- विशाखापट्नम- गुंटूर प्रदेश 7- गुड़गाँव-दिल्ली-मेरठ 8- कोलम-तिरुवनंतपुरम प्रदेश।

लघु औद्योगिक प्रदेश

कुल-13 लघु औद्योगिक प्रदेश है-

1-अंबाला-अमृतसर  2- सहारनपुर-मुजफ़रनगर-बिजनौर  3- इंदौर-देवास-उज्जैन  4- जयपुर-अजमेर  5- कोल्हापुर-दक्षिणी कन्नड़  6- उत्तरी मालाबार  7- मध्य मालाबार   8- अदीलाबाद-निजामाबाद  9- इलाहाबाद-वाराणसी-मिर्जापुर  10- भोजपुर-मुँगेर  11-

दुर्ग-रायपुर  12- बिलासपुर-कोरबा  13- ब्रह्मपुत्र घाटी।

औद्योगिक जिले-

कुल-15 औद्योगिक जिले है-

1- कानपुर 2- हैदराबाद 3-आगरा 4- नागपुर 5- ग्वालियर 6- भोपाल 7- लखनऊ 8-जलपाई गुड़ी 9-कटक 10- गोरखपुर 11- अलीगढ़ 12- कोटा 13- पूर्णिया 14- जबलपुर 15- बरेली।

मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश

 

यह मुंबई-थाने से पुणे तथा नासिक और शोलापुर जिलों के संस्पर्शी क्षेत्रों तक विस्तृत है। इसके अतिरिक्त रायगढ़ अहमदनगर सतारा सांगली और जलगाँव जिलों में औद्योगिक विकास तेजी से हुआ है। इस प्रदेश का विकास मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ प्रारंभ हुआ। मुंबई में कपास के पृष्ठ प्रदेश में स्थिति होने और नम जलवायु के कारण मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ। 1869 में स्वेज नहर के खुलने के कारण मुंबई पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। इस पत्तन के द्वारा मशीनों का आयात किया जाता था। इस उद्योग की आवश्यकता पूर्ति के लिए पश्चिमी घाट प्रदेश में जलविद्युत शक्ति का विकास किया गया।

सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुंबई हाई पेट्रोलियम क्षेत्र और नाभिकीय उर्जा संयंत्र वफी स्थापना ने इस प्रदेश को अतिरिक्त बल प्रदान किया। इसके अतिरिक्त अभियांत्रिकी वस्तुएँ पेट्रोलियम परिशोधन पेट्रो-रासायनिक चमड़ा संश्लिष्ट और प्लास्टिक वस्तुएँ दवाएँ उर्वरक विद्युत वस्तुएँ जलयान निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स सॉफ़्टवेयर परिवहन उपकरण और खाद्य उद्योगों का भी विकास हुआ। मुंबई कोलाबा कल्याण थाणे ट्राम्बे पुणे पिंपरी नासिक मनमाड शोलापुर कोल्हापुर अहमदनगर सतारा और सांगली महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है।

हुगली औद्योगिक प्रदेश

हुगली नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रदेश उत्तर में बाँसबेरिया से दक्षिण में बिडलानगर तक लगभग 100 किलोमीटर में फैला है। उद्योगों का विकास पश्चिम में मेदनीपुर में भी हुआ है। कोलकाता-हावड़ा इस औद्योगिक प्रदेश के केंद्र हैं। इसके विकास में ऐतिहासिक भौगोलिक आर्थिक और राजनीतिक कारकों ने अत्यधक योगदान दिया है इसका विकास हुगली नदी पर पत्तिन के बनने के बाद प्रारंभ से हुआ। देश में कोलकाता एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा। इसके बाद कोलकाता भीतरी भागों से रेलमार्गों और सड़क मार्गों द्वारा जोड़ दिया गया। असम और पश्चिम बंगाल की उत्तरी पहाड़ियों में चाय बगानों के विकास उससे पहले नील का परिष्करण और बाद में जूट संसाधनों ने दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों और छोटानागपुर पठार के लौह अयस्क के निक्षेपों के साथ मिलकर इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में सहयोग प्रदान किया।

बिहार के घने बसे भागों पूर्वी उत्तर प्रदेश और उड़ीसा से उपलब्ध सस्ते श्रम ने भी इस प्रदेश के विकास में योगदान दिया। कोलकाता ने अंग्रेजी ब्रिटिश भारत की राजधानी 1773-1911- होने के कारण ब्रिटिश पूँजी को भी आकर्षित किया। 1855 में रिशरा में पहली जूट मिल की स्थापना ने इस प्रदेश के आधुनिक औद्योगिक समूहन के युग का प्रारंभ किया। जूट उद्योग का मुख्य केंद्रीकरण हावड़ा और भटपारा में है। 1947 में देश के विभाजन ने इस औद्योगिक प्रदेश को बुरी तरह प्रभावित किया। जूट उद्योग के साथ ही सूती वस्त्र उद्योग भी पनपा। कागज इंजीनियरिंग  टेक्सटाइल मशीनों विद्युत रासायनिक औषधीय उर्वरक और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों का भी विस्तार हुआ। कोननगर में हिंदुस्तान मोटर्स लिमिटेड का कारखाना और चितरंजन में डीजाल इंजन का कारखाना इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं। इस प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र कोलकाता हावड़ा हल्दिया सीरमपुर रिशरा शिबपुर नैहाटी गुरियह काकीनारा श्यामनगर टीटागढ़ सौदेपुर बजबज बिडलानगर बाँसबेरिया बेलगुरियह त्रिवेणी हुगली बेलूर आदि हैं। फिर भी इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में दूसरे प्रदेशों की तुलना में कमी आई है। जूट उद्योग की अवनति इसका एक कारण है।

बंगलौर-चेन्नई औद्योगिक प्रदेश

यह प्रदेश स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अत्यधक तीव्रता से औद्योगिक विकास का साक्षी है। 1960 तक उद्योग केवल बंगलौर सेलम और मदुरई जिलों तक सीमित थे लेकिन अब वे तमिलनाडु के विल्लूपुरम को छोड़कर लगभग सभी जिलों में फ़ैल चुके है। कोयला क्षेत्रों से दूर होने के कारण इस प्रदेश का विकास पायकारा जलविद्युत संयंत्र पर निर्भर करता है जो 1932 में बनाया गया था। कपास उत्पादक क्षेत्र होने के कारण सूती वस्त्र उद्योगा ने सबसे पहले पैर जमाए थे। सूती मिलों के साथ ही करघा उद्योग का भी तेजी से विकास हुआ। अनेक भारी अभियांत्रिकी उद्योग बंगलौर में एकत्रित हो गए। वायुयान एच--एल मशीन उपकरण टूल-पाने आरै भारत इलेक्ट्रानिक्स इस प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं। टेक्सटाइल रेल के डिब्बे डीजल इंजन रेडियो हल्की अभियांत्रिकी वस्तुएँ रबर का सामान दवाएँ एल्युमीनियम शक्कर सीमेंट ग्लास कागजा रसायन फ़िल्म सिगरेट माचिस चमड़े का सामान आदि महत्वपूर्ण उद्योग है। चेन्नई में पेट्रोलियम परिशोधनशाला सेलम में लोहा-इस्पात संयंत्र और उर्वरक संयंत्र अभिनव विकास हैं।

गुजरात औद्योगिक प्रदेश

इस प्रदेश का केंद्र अहमदाबाद और वडोदरा के बीच है लेकिन यह प्रदेश दक्षिण में वलसाद और सूरत तक और पश्चिम में जामनगर तक पैफला है। इस प्रदेश का विकास 1860 में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना से भी संबंधित है। यह प्रदेश एक महत्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग क्षेत्र बन गया। कपास उत्पादक क्षेत्र में स्थित होने के कारण इस प्रदेश को कच्चे माल और बाजार दोनों का ही लाभ मिला। तेल क्षेत्रों की खोज से पेट्रो-रासायनिक उद्योगों की स्थापना अंकलेश्वर वडोदरा और जामनगर के चारों ओर हुई। कांडला पत्तन ने इस प्रदेश के तीव्र विकास में सहयोग दिया। कोयली में पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने अनेक पेट्रो-रासायनिक उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया। औद्योगिक संरचना में अब विविधता चुकी है। कपड़ा सूती सिल्क और कृत्रिम कपड़े- और पेट्रो-रासायनिक उद्योगों के अतिरिक्त अन्य उद्योग भारी और आध्रा रासायनिक मोटर ट्रैक्टर डीजल इंजन टेक्सटाइल मशीनें इंजीनियरिंग औषधि रंग रोगन कीटनाशक चीनी दुग्ध उत्पाद और खाद्य प्रक्रमण हैं। अभी हाल ही में सबसे बड़ी पेट्रोलियम परिशो्धनशाला जामनगर में स्थापित की गई है। इस प्रदेश के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र अहमदाबाद वडोदरा भरूच कोयली आनंद खेरा सुरेंद्रनगर राजकोट सूरत वलसाद और जामनगर हैं।

छोटानागपुर प्रदेश

छोटानागपुर प्रदेश झारखंड उत्तरी उड़ीसा और पश्चिमी पश्चिम बंगाल में फ़ैला है और भारी धातु उद्योगों के लिए जाना जाता है। यह प्रदेश अपने विकास के लिए दामोदर घाटी में कोयला और झारखंड तथा उत्तरी उड़ीसा में धात्विक और अधात्विक खनिजों की खोज का रिणी है। कोयला लौह अयस्क और दूसरे खनिजों की निकटता इस प्रदेश में भारी उद्योगों की स्थापना को सुसाध्य बनाती है। इस प्रदेश में : बड़े एकीकृत लौह-इस्पात संयंत्र जमशेदपुर बर्नपुर कुल्टी दुर्गापुर बोकारो और राउरकेला में स्थापित है। उर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ऊष्मीय और जलविद्युतशक्ति संयंत्रों का निर्माण दामोदर घाटी में किया गया है। प्रदेश के चारों ओर घने बसे प्रदेशों से सस्ता श्रम प्राप्त होता है और हुगली प्रदेश अपने उद्योगों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराता है।

भारी इंजीनियरिंग मशीन-औजार उर्वरक सीमेंट कागजा रेल इंजन और भारी विद्युत उद्योग इस प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण उद्योग हैं। राँची धनबाद चैबासा सिंदरी हजारीबाग जमशेदपुर बोकारो राउरकेला दुर्गापुर आसनसोल और डालमियानगर महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

विशाखापट्नम-गुंटूर प्रदेश

यह औद्योगिक प्रदेश विशाखापत्तनम् जिले से लेकर दक्षिण में कुरूनूल और प्रकासम जािलों तक पैफला है। इस प्रदेश का औद्योगिक विकास विशाखापट्नम और मछलीपटनम पत्तनों इसके भीतरी भागों में विकसित कृषि तथा खनिजों के बड़े संचित भंडार पर निर्भर है। गोदावरी बेसिन के कोयला क्षेत्र इसे उफर्जा प्रदान करते हैं। जलयान निर्माण उद्योग का प्रारंभ 1941 में विशाखापट्नम में हुआ था। आयातित पेट्रोल पर आधारित पेट्रोलियम परिशोधनशाला ने कई पेट्रो-रासायनिक उद्योगों की वृद्धि को सुगम बनाया है।

शक्कर वस्त्र जूट कागज उर्वरक सीमेंट एल्युमीनियम और हल्की इंजीनियरिंग इस प्रदेश के मुख्य उद्योग हैं। गुंटूर जिले में एक शीशा-जिंक प्रगालक कार्य कर रहा है। विशाखापट्नम में लोहा और इस्पात संयंत्र बेलाडिला लौह अयस्क का प्रयोग करता है। विशाखापट्नम विजयवाड़ा विजयनगर राजमुंदरी गुंटूर एलूरू और कुरनूल महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।

गुड़गाँव-दिल्ली-मेरठ प्रदेश

इस प्रदेश में स्थित उद्योगों में पिछले कुछ समय से बड़ा तीव्र विकास दिखाई देता है। खनिजों और विद्युतशक्ति संसाधनों से बहुत दूर स्थित होने के कारण यहाँ उद्योग छोटे और बाजार अभिमुखी हैं। इलेक्ट्रॉनिक हल्के इंजीनियरिंग और विद्युत उपकरण इस प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ सूती ऊनी और कृत्रिम रेशा वस्त्र होजरी शक्कर सीमेंट मशीन उपकरण ट्रैक्टर साईकिल कृषि उपकरण रासायनिक पदार्थ और वनस्पति घी उद्योग हैं जो कि बड़े स्तर पर विकसित हैं। सॉफ़टवेयर उद्योग एक नई वृद्धि है। दक्षिण में आगरा-मथुरा उद्योग क्षेत्र है जहाँ मुख्य रूप से शीशे और चमड़े का सामान बनता है। मथुरा तेल परिशोधन कारखाना पेट्रो-रासायनिक पदार्थो का संकुल है। प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में गुडगाँव दिल्ली शाहदरा मेरठ मोदीनगर गाजियाबाद अंबाला आगरा और मथुरा का नाम लिया जा सकता है।

कोलम-तिरुवनंतपुरम प्रदेश

यह औद्योगिक प्रदेश तिरुवनंतपुरम कोलम अलवाय अरनाकुलम् और अल्लापुझा जिलों में फ़ैला हुआ है। बागान कॄषि और जलविद्युत इस प्रदेश को औद्योगिक आधार प्रदान करते हैं। देश की खनिज पेटी से बहुत दूर स्थित होने के कारण कॄषि उत्पाद प्रव्रफमण और बाहृजार अभिविन्यस्त हल्के उद्योगों की इस प्रदेश पर से अधिकता है। उनमें से सूती वस्त्र उद्योग चीनी रबड़ माचिस शीशा रासायनिक उर्वरक और मछली आधारित उद्योग महत्वपूर्ण हैं। खाद्य प्रक्रमण कागज नारियल रेशा उत्पादक एल्यूमीनियम और सीमेंट उद्योग भी महत्वपूर्ण हैं। कोची में पेट्रालियम परिशोधनशाला की स्थापना ने इस प्रदेश के उद्योगों को एक नया विस्तार प्रदान किया है। कोलम तिरुवनंतपुरम् अलुवा कोची अलापुझा और पुनालूर महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं।

 

No comments:

Post a Comment


Popular Posts

Total Pageviews

Categories

Blog Archive