21वीं सदी के पहले दशक में ही आपने बहुत से बदलाव देखे हैं। एक ओर जहां इंटरनेट स्पीड में हुए सुधार से पलक झपकते आप संदेशों का आदान प्रदान कर लेते हैं, वहीं मेडिकल साइंस में लेजर के जरिए ऐसे तरीके आए हैं कि न खून बहता है और न ही चीड़फाड़ की जरूरत होती है। हमारे फाइटर भी इतने एडवांस हैं कि रात में भी सटीक निशाने लगाते हैं। इतना ही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स बेस्ड ये फाइटर उड़ते भी करीब-करीब खुद हैं। आप सोच रहे होंगे कि इन बातों का इस टॉपिक से वास्ता क्या है? वास्ता है और वह है फोटोनिक्स तकनीक का।
दरअसल, फोटोनिक्स प्रकाश के इस्तेमाल से संबंधित तकनीक है। यह लाइट और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों की मदद से उपकरण विकसित करने का विज्ञान है। फोटोनिक्स शब्द का उपयोग कम्युनिकेशन, हेल्थकेयर, मेडिसिन, रक्षा, ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्र में होता है। इसे 21वीं सदी का तकनीक कहा जा सकता है और इसके बढ़ते उपयोग की वजह से इस क्षेत्र में करियर की भरपूर संभावनाएं हैं।
क्या है फोटोनिक्स?
फिजिक्स का यह पार्ट ऑप्टिकल टेक्नॉलजी और इलेक्ट्रॉनिक्स का मेल है। इसमें प्रकाश का अध्ययन किया जाता है। यह लाइट के इमिशन, डिटेक्शन, ट्रांसमिशन और मॉड्युलेशन से जुड़ी तकनीकों में विशेषज्ञता हासिल करने का विज्ञान है। आम जीवन की बात करें तो टेलिकम्युनिकेशन के विस्तार में फोटोनिक्स का अहम योगदान है। इस तकनीकी का इस्तेमाल मेडिकल साइंस, इमेजिंग, डिफेंस आदि में भी होता है। लेजर, स्पेक्ट्रोस्कोपी, माइक्रोस्कोपी और फाइबर ऑप्टिकल इमेजिंग में भी इसका इस्तेमाल होता है।
योग्यता
देश के काफी सारे संस्थानों में फोटोनिक्स की पढ़ाई उपलब्ध है। इस सब्जेक्ट में ग्रैजुएशन के लिए मैथ्स केमिस्ट्री और फिजिक्स के साथ 12 वीं की जरूरत होती है। वहीं पीजी लेवल पर एंट्री के लिए मैथ्स और फिजिक्स के साथ ग्रैजुएशन की जरूरत होती है। पीएचडी लेवल पर फिजिक्स या फोटोनिक्स में मास्टर डिग्री की जरूरत होती है। डिप्लोमा कोर्स भी हैं। इनमें दाखिला लेकर आप टेक्निशन बन सकते हैं। इस फील्ड में करियर बनाने की चाह रखने वालों को इससे संबंधित विषयों में दिलचस्पी होनी चाहिए। मैथ्स और साइंस पर पूरी पकड़ होनी चाहिए।
कौन - कौन से कोर्स
इस क्षेत्र में कोर्स की कमी नहीं है। यह आपको अपने हिसाब से देखना होता है कि आप करियर को किस रूप में बढ़ाना चाहते हैं। लेजर ट्रीटमेंट , टेलिकम्यूनिकेशंस , माइक्रोस्कोपी , अडवांस स्पेक्ट्रोस्कोपी , फोटोनिक कंप्यूटिंग , फोटोनिक्स व ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई की जा सकती है।
संभावनाएं
फोटोनिक्स की पढ़ाई करने वालों के लिए संभावनाओं के द्वारा सही मायने में इंडिया जैसे देश में अभी खुल ही रहे हैं। इस फील्ड में जॉब के साथ साथ टीचिंग का भी ऑप्शन मिलती है। एक स्पेशलिस्ट के रूप में आप किसी फोटोनिक्स कंपनी में इंजिनियर , टेक्निशन या साइंटिस्ट के तौर पर काम कर सकते है। वहीं टीचिंग फील्ड में यूनिवर्सिटी या कॉलेज में पढ़ा सकते हैं, लेकिन इसके लिए पीजी या डॉक्टरेट की जरूरत पड़ती है। आप फाइबर ऐंड इंटीग्रेटेड ऑप्टिक्स , सेमीकंडक्टर , ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स एंड सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रों में भी काम पा सकते हैं।
पे - पैकेज
इस फील्ड में कदम रखने वालों को औसत पे - पैकेज ही मिल पाता है। हां , पीएचडी या एमटेक की डिग्री होने पर बात भले अलग होती है। शुरुआती दौर में आपको 20-25 हजार रुपये तो मिल ही जाते हैं। इस सब्जेक्ट का एक फायदा यह भी है कि आप विदेश में भी करियर बना सकते हैं। वहां पैसे भी अच्छे मिलते हैं।
इंस्टिट्यूट्स
विदेश
- डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स , यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रैथस्लाइड , यूके
- विएना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी
- ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी , कैनेबरा
- यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी
- यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड
भारत
- नैशनल सेंटर फॉर अल्ट्राफास्ट प्रोसेसेज , चेन्नै
- द इंटरनैशनल स्कूल ऑफ फोटोनिक्स , कोचीन
- राजऋषि शाहू महाविद्यालय , लातूर
- आईआईटी , चेन्नै
- आईआईटी दिल्ली
निर्भय कुमार
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