Indian Army
भारतीय सेना
भारत की तीनों सेनाओं के प्रमुखों की कमिटी के चेयरमैन और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन. ए. के. ब्राउन ने पाकिस्तान के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए कुछ सुझाव और विकल्प कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की कमिटी के सामने रखे हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है। ब्राउन ने शनिवार को कहा था कि पाकिस्तान ने यदि गोलाबारी बंद कर संघर्षविराम समझौते का पालन नहीं किया तो समुचित जवाब दिया जाएगा। हालांकि, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक चैनल पर कहा कि हम बदला लेने जैसी मांगों से दबाव में नहीं आएंगे। जो देश के हित में होगा, वही किया जाएगा। 8 जनवरी को दो सैनिकों की बेरहमी से हत्या जैसी नापाक हरकतों पर कुछ लोग कड़ा जवाब देने की मांग कर रहे हैं। अब तक केंद्र सरकार के रवैये से यही मेसेज गया है कि भारत इस हमले का समुचित जवाब देने में हिचक रहा है।
टॉप सरकारी सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने जानबूझकर भारत को उकसाया है, ऐसे में भारत को उनके जाल में नहीं फंसना चाहिए। परमाणु बम से लैस पाकिस्तानी सेना के खिलाफ क्या जवाबी कदम उठाए जाए, इस पर सरकार और सुरक्षा अधिकारी इस पर गहन मंथन कर रहे हैं। सामरिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारत के सामने सीमित विकल्प हैं। आर्मी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 'कोल्ड स्टार्ट' रणनीति तैयार की है, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक का भी विकल्प है। लेकिन मौजूदा माहौल में इस पर अमल ठीक नहीं होगा। आइए आपको बताते हैं पाक से निपटने के लिए इस समय भारत के पास कौन से तीन विकल्प हैं...
विकल्प नंबर 1- सीधी बातचीत : भारत सरकार टेंशन कम करने को पाक सरकार से उच्चस्तर पर संपर्क साधे। विदेश मंत्री और दूसरे आला अफसर सीधी बात करके हालात नॉर्मल करें।
संभावना : ज्यादा संभावना यही है कि सरकार यह रास्ता अपनाएगी क्योंकि दोनों देश जानते हैं कि लड़ाई या बॉर्डर पर लंबे समय तक टेंशन से दोनों का ही नुकसान होगा।
विकल्प नंबर 2. सर्जिकल स्ट्राइक : पाकिस्तान के खिलाफ भारत सीमित और छोटी लेकिन घातक सैन्य कार्रवाई करे। सीमापार बने आतंकवादी अड्डों पर खुद हमला कर दे।
संभावना : भारत अभी ऐसा नहीं उठाएगा क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक का पाक आर्मी तगड़ा जवाब देगी। तब भारतीय सेना को भी जवाबी कदम उठाना पड़ेगा।
विकल्प नंबर 3. डिप्लोमैसी : भारत अमेरिका जैसे देशों के जरिए पाकिस्तान पर दबाव डलवाए और एलओसी पर स्थिति को सामान्य बनाने के प्रयास करे।
संभावना : भारत सीमा विवाद सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र या किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं करना चाहता और आपसी बातचीत से ही समाधान चाहता है।
क्यों तूल देना चाहता है पाक?
1. घरेलू अशांति से ध्यान हटाना : पाकिस्तान के अंदरूनी हालात दिनोंदिन बिगड़ रहे हैं। जिहादी और स्थानीय संगठन वहां बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं।
2. जिहादियों को तसल्ली : पाक ने भारत को नीचे करके घरेलू जिहादियों को दुश्मन नंबर-1 करार तो दे दिया लेकिन उन्हें थामने के लिए सीमा पर आग भड़काए रखना चाहता है।
3. कश्मीर मुद्दा : पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को इंटरनैशनल लेवल पर ले जाने की कोशिशें करता रहा है। बॉर्डर पर तनाव बढ़ाकर वह दुनिया का ध्यान इस ओर खींचना चाहता है।
4. घुसपैठ : पाक हमेशा से भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की फिराक में रहता है। सीमा पर उसकी नापाक हरकतों से भारत का ध्यान घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों से हट सकता है।
टेंशन बढ़ने के नुकसान
1. शांति वार्ता पर असर : भारत-पाक के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए पिछले कुछ साल में जो कोशिशें परवान चढ़ी हैं, उनमें पलीता लग सकता है।
2. आवाजाही प्रभावित : नागरिकों की एक-दूसरे देश में आवाजाही आसान बनाने के फैसलों पर अमल टल सकता है। नए वीजा समझौते पर बंदिशें लगने का खतरा रहेगा।
3. आर्थिक नुकसान : सीमा के आर-पार व्यापार ठप होने का मतलब अरबों रुपये का नुकसान। बॉर्डर पर अशांति बढ़ने से विदेशी निवेशक भारत से लौटने पर विचार करने लगेंगे।
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