Tuesday, March 20, 2012

तयशुदा आय से जुड़े मिथक



तयशुदा आय से जुड़े मिथक

मुद्रास्फीति की मार-

 

ब़ढती महंगाइ हजम कर सकती है बैंक एफडी, बांड से आदि से मिलनेवाले रिटन को

 

कर का निधारण सबसे ऊंचे स्लैब के हिसाब से किया गया है मुद्रास्फीति की दर सात फीसदी मानी गयी है किसी निवेशक को अपने पोटफोलियो का कितना हिस्सा सुनिश्चित आय में निवेश करना चाहिए, इसका निधारण जोखिम लेने की षामता और समय-समय पर आनेवाली नकदी की जरूरत को ध्यान में रख कर करना चाहिए



अगर आपको सुनिश्चित आय में ही निवेश करना है तो यहां भी इक्विटी की तरह पैसा बांट कर लगाना चाहिए डेट फंड और एफएमपी अच्छे विकल्प हैं



याद रखें कि कोइ भी पोटफोलियो इक्विटी और डेट उपकरणों के बिना पूरा नहीं होता दोनों का अपना-अपना महत्व है इनके बीच संतुलन कायम करते हुए निवेश से ही आप अपने लक्ष्य हासिल कर सकते हैंबड़े-बुजुग अक्सर यह चचा करते हैं कि कैसे उन्होंने एफडी, एनएससी जैसे निवेश के पारंपरिक साधनों से अपनी धन संपदा ब़ढायी और सारी जरूरतों को पूरा किया लेकिन अगर कोइ आज इसी रास्ते पर अमल करते हुए अपना सारा पैसा सुनिश्चित आयवाले उपकरणों में लगाये तो उसका वास्तविक रिटन शून्य या ऋणात्मक भी हो सकता है ऐसा हो रहा है ब़ढती महंगाइ या मुद्रास्फीति के चलते अगर आपको किसी साल अपने निवेश पर 9 फीसदी ब्याज मिले और उस साल मुद्रास्फीति की दर भी 9 फीसदी रहे तो समझिये कि आपको अपने निवेश से कुछ नहीं मिला इसलिए हमें इक्विटी में निवेश के बारे में जरूर सोचना चाहिएबीस साल पहले की बात करें तो देश 56 फीसदी की रफ्तार से आगे ब़ढ रहा था अपना घर और अपनी गाड़ी का सपना बहुत थोड़े से ही लोग पूरा कर पाते थे लेकिन उस समय सुनिश्चित आयवाले निवेश पर ब्याज तगड़ा मिलता था 1990 के दशक में राष्ट­ीय बचत पत्र (एनएससी) पर सालाना 12 फीसदी ब्याज मिलता था वहीं बैंक मियादी जमा (एफडी) 9 से 13 फीसदी रिटन दे रहे थे अगर हम मुद्रास्फीति को समंजित करने के बाद भी रिटन की गणना करें तो यह काफी ऊंचा था, क्योंकि उस समय मुद्रास्फीति 5 फीसदी के नीचे थी लेकिन अब स्थिति ठीक उलटी हो गयी है भारत की विकास दर 7 से 9 फीसदी के बीच फंसी हुइ है और मुद्रास्फीति 10 फीसदी के आसपास घूमती रहती है, लेकिन मियादी जमा पर बैंक सिफ 9 से 10 फीसदी रिटन दे रहे हैं ऐसे में अगर हम सिफ पारंपरिक ढंग से सुनिश्चित आयवाले उपकरणों में निवेश करते हैं, तो हमारा वास्तविक रिटन ऋणात्मक होगा रही-सही कसर टैक्स पूरी कर देते हैं, क्योंकि एफडी, एनएससी, बांड, डिबेंचर आदि से मिलनेवाले सालाना ब्याज पर कर देना होता है

मिथक 1

तयशुदा आयवाले साधनों से आपकी दौलत ब़ढती है : बीते पांच सालों में सुनिश्चित आयवाले पारंपरिक उपकरणों का औसत रिटन सालाना 7 से 9 फीसदी के बीच रहा है वहीं शेयर माकेट का रिटन शानदार रहा है अगर हम म्यूचुअल फंड की बात करें तो इसी दौर में उसका रिटन 10 से 15 फीसदी के बीच रहा है इस दौरान की टैक्स दर और सात फीसदी की औसत मुद्रास्फीति को देखते हुए, केवल पारंपरिक निवेश के जरिये दौलत पैदा करना नामुमकिन है अगर आप केवल सुनिश्चित आयवाले उपकरणों में निवेश करते हैं, तो सच मायनों में आपकी परिसंपत्ति का षारण ही होता है अगर आप दौलत पैदा करना चाहते हैं तो आपको शेयरों, म्यूचुअल फंड, जमीन-जायदाद, सोने आदि में निवेश करना ही होगा

मिथक 2

तयशुदा आयवाले निवेश जोखिम से मुक्त होते हैं : दुनिया में कुछ भी जोखिम से मुक्त नहीं है और निवेश के साथ भी ऐसा ही है अगर आप समझते हैं कि आपका बांड या मियादी जमा जोखिम से मुक्त है तो इन तथ्यों पर गौर करें :

पुननिवेश जोखिम : आपने ऊंची ब्याज दरों पर जो निवेश किया है, हो सकता है बाद जब उसका पुननिवेश करना हो तो ब्याज दरें कम हो गयी हों अनुमान है कि आनेवाले कुछ महीनों में रिजव बैंक बेंचमाक में एक से 125 फीसदी की कमी करेगा इससे जमा दरों में भी आधा से एक फीसदी की कमी आ सकती है अब अगर किसी की 10 फीसदी ब्याज दर वाली एफडी जून में परिपक्व हो रही हो, तो उसे एक फीसदी कम यानी 9 फीसदी की दर पर इसका पुननिवेश करना पड़ सकता है तयशुदा आयवाले अन्य निवेशों के मामले में भी यह जोखिम है आम तौर पर, जब बाजार में ब्याज दरों में बड़ी गिरावट आती है तो बांड वापस लिये (कॉल बैक किये) जाते हैं ऐसे में आपके पास बांड से मिले पैसे को पुननिवेश करने के अलावा कोइ विकल्प नहीं होता है निश्चित रूप से आपको यह पुननिवेश पहले से कम ब्याज दरों पर करना पड़ेगा सरदार सरोवर बांड के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ था गुजरात सरकार ने ये बांड 17 फीसदी सालाना की ब्याज दर पर जारी किये थे 2008 में सरकार को इन्हें वापस लेना पड़ा क्योंकि वह इतनी ऊंची दर पर ब्याज चुकाने में सषाम नहीं थी बहुत से निवेशक अब भी अपने पैसे वापस पाने (रीडेंपशन) के लिए चक्कर काट रहे हैं कंपनी एफडी और बांड जैसे कर योग्य निवेश (जहां आप परिपक्वता पर कर चुकाते हैं) में भी पुननिवेश जोखिम है अगर आप परिक्वता से पहले एक्सचेंज में बांड को बेच देते हैं तो आपको कैपिटल गेन टैक्स भी देना होगा

पुननिवेश जोखिम कम करने का इकलौता तरीका है कि इसे उच्च जोखिम वाले उपकरणों जैसे शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश कर संतुलित किया जाये अगर आपको तयशुदा आयवाले उपकरणों में ही निवेश करना है तो बैंक एफडी के मुकाबले फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान (एफएमपी) में निवेश बेहतर विकल्प है, क्योंकि कर के बाद रिटन के लिहाज से यह फायदेमंद है

मुद्रास्फीति का जोखिम : ब़ढती मुद्रास्फीति आपके वास्तविक रिटन को घटा देती है कच्चे तेल के ब़ढते दाम की वजह से 2012 में भी मुद्रास्फीति की दर ऊंची रह सकती है उदाहरण के लिए, अगर मुद्रास्फीति की दर आठ फीसदी रहे और आपको अपने निवेश पर 9 फीसदी आय हो, तो आपका वास्तविक रिटन महज 092 फीसदी होगा हालांकि, आप अपने पोटफोलियो के कुछ हिस्से का निवेश ऐसी परिसंपत्तियों में कर सकते हैं जो मुद्रास्फीति से प्रभावित न हो, जैसे सोना सोना मुद्रास्फीति के जोखिम को संतुलित करता है

साख का जोखिम : तयशुदा आयवाले उपकरणों में निवेश करते समय ह्लयादातर निवेशक साख के जोखिम पर ध्यान नहीं देते सभी तरह के जमा, बांड, सुनिश्चित आयवाली प्रतिभूतियों, यहां तक कि सरकारी प्रतिभूतियों में भी कुछ न कुछ जोखिम जरूर होता है कंपनी या सरकार निवेशक को ब्याज या मूलधन के भुगतान में असफल हो सकते हैं सरदार सरोवर बांड इसका सटीक उदाहरण है बैंक जमा में सिफ एक लाख रुपये तक की रकम का बीमा होता है कॉरपोरेट जमा पर और भी जोखिम होता है, क्योंकि इसमें कोइ बीमा नहीं होता कंपनियों के बहुत से इश्यू परिसंपत्तियों की एवज में सुररिषात नहीं होते यानी, अगर कंपनी दिवालिया हो जाये तो आपको अपना पैसा वापस नहीं मिल पायेगा इसके अलावा ऊंची साखवाली कंपनियां भी भविष्य में रेटिंग एजेंसियों द्वारा डाउनग्रेड की जा सकती हैं इससे उसके बांड की कीमत बाजार में गिर जाती है ऐसी स्थिति में बांड बेचने से आपको कम रिटन हासिल होगा इसलिए ऋण उपकरणों में अपने निवेश को कइ जगह बांटना बेहतर होता है

तरलता का जोखिम : इस जोखिम का अथ है कि हम अपने निवेश को नकदी में न तब्दील कर पायें एनएससी और पीपीएफ में यह जोखिम काफी ह्लयादा है यानी, यह संभव है कि इनमें किये गये निवेश को आप ऐन वक्त पर न निकाल पायें परिपक्वता से पहले कॉरपोरेट जमा को निकालना भी लंबी प्रक्रिया है तरलता के लिहाज से डेट फंड सबसे ब़िढया हैं टैक्स के लिहाज से भी ये बेहतर होते हैं

पोटफोलियो से जुड़ा जोखिम : अगर आप सारा निवेश सुनिश्चित आयवाले उपकरणों में करते हैं तो ऊपर जितने भी जोखिम बताये गये हैं, उन सभी का एक साथ सामना करना पड़ सकता है यानी, आपके सामने निवेश पर अपयाप्त रिटन के कारण लक्ष्य हासिल न कर पाने का जोखिम होगा

आनेवाले समय में ब्याज दरों में बड़ा बदलाव तय आयवाले उपकरणों से रिटन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है यहां तक कि सरकारी प्रतिभूतियों पर आय घटने से पीपीएफ का रिटन भी प्रभावित हो सकता है


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