Tuesday, March 20, 2012

भा + रत = भारत (संस्कृति का सन्देश, स्वाभिमान का प्रतीक )



भा + रत = भारत (संस्कृति का सन्देश, स्वाभिमान का प्रतीक ) ----- भारत उस देश का नाम है, जो अपने में एक विशिष्ट आध्यात्मिक संस्कृति को संजोए हुए हैं I भारत दो शब्दों भा + रत से मिलकर बना है I भा का अर्थ है - आभा और रत का अर्थ है - संलग्न अर्थात जो देश प्रकाश, ज्ञान और आनंद की साधना में संलग्न रहा है, उसी का नाम है भारत I भारत विश्वगुरु रहा है I उसी ने बहुत पहले यह उदघोष किया - असतो माँ सदगमय, तमसो माँ ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय अर्थात असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर बढ़ना I भारत ने इसी को जीवन का मूलमंत्र माना था ओर विश्व को भी उसने यह सन्देश दिया I सत्य, प्रकाश, आनंद और अमरत्व की इस यात्रा में जो चार पड़ाव मिलते हैं, उन्हें हमारे ऋषियों ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष शीर्षक चार पुरुषार्थों के रूप में व्याख्यायित किया है I इनके माध्यम से भारतीय ऋषियों ने आध्यत्मिक और भौतिक जीवन में जो संतुलन और सामंजस्य स्थापित किया है, वह अत्यंत दुर्लभ है I यहाँ अर्थ और काम भौतिक जीवन के पुरुषार्थ हैं, और धर्म तथा मोक्ष आध्यात्मिक जीवन के चारों पुरुषार्थों में धर्म को सर्वप्रथम स्थान दिया गया है, और धर्मों रक्षत: अर्थात धर्म की रक्षा से ही सबकी रक्षा होती है, कहकर धर्म की महत्ता स्थापित की है I सुदूर अतीत में सर्वभूत हितेरत: अर्थात वसुधैव कुटुम्बकम की जो उदघोषणाए की गई थीं, वे सब एक धार्मिक चेतना का ही परिणाम थीं I अंग्रेजो ने भारत को इंडिया नाम दिया I इस शब्द में वह शक्ति नहीं है, जो भारत के उपरोक्त गुणों को ध्वनित और व्यंजित कर सके I भारत के इंडिया शब्द का प्रयोग स्पष्ट करता है की भले ही अंग्रेजो की गुलामी से हम स्वतंत्र हो गए हैं, पर मानसिक दासता से अभी भी मुक्त नहीं हो सके हैं I हमें इंडिया और अंग्रेजी, दोनों से ही अपने को मुक्त करना है तथा भारत, भारतीय संस्कृति और अपनी मातृभाषा हिंदी से जुड़ना है, तभी हम सच्चे अर्थों में भारतीय कहलाने के अधिकारी होंगे .

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