भारत की निर्भयता
(मिसाइल बेडे़ में शामिल नए हथियार पर मुकुल व्यास की टिप्पणी )
भारत के रक्षा वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म की कू्रज मिसाइल विकसित की है। निर्भय नामक इस निर्देशित मिसाइल को अमेरिका की टोम हॉक मिसाइल की टक्कर का माना जा रहा है। निर्भय का परीक्षण अगले महीने किया जा सकता है। यह पहला अवसर है जब भारत ने सब-सोनिक स्पीड पर उड़ने वाली मिसाइल का विकास किया है। सब-सोनिक मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से कम गति पर उड़ान भरती है, जबकि सुपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से भी तेज होती है। भारत और रूस द्वारा विकसित की गई ब्रंाोस (Brahmos)सुपरसोनिक कू्रज मिसाइल 2.8 मेक (ध्वनि की रफ्तार से 2.8 गुना अधिक) की स्पीड से 290 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है। भारत काफी समय से एक ऐसी सब-सोनिक मिसाइल की तलाश में था, जो लंबी दूरी तक उड़ान भर सके। निर्भय का डिजाइन भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के बेंगलूर स्थित एरोनाटिकल डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट ने तैयार किया है। निर्भय में शामिल की गई अधिकांश तकनीकें लक्ष्य से ली गई हैं, जो एक चालकरहित लक्ष्यभेदी विमान है। निर्भय सतह से सतह पर मार करने वाली दो चरणों वाली मिसाइल है। एक बूस्टर इंजिन द्वारा इसके पहले चरण को जमीन से दागा जाता है, जबकि दूसरा चरण एक टर्बो -प्रोप इंजिन द्वारा संचालित होता है, जिसका प्रयोग विमानों में होता है। यह मिसाइल एक ही बार में कई पेलोड ले जा सकती है और एक साथ कई लक्ष्यों से निपट सकती है। डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक यह मिसाइल कई लक्ष्यों के बीच में से किसी खास को लक्ष्य के चारों तरफ घूम कर उस पर हमला करने में सक्षम है। इसका प्रहार एकदम सटीक होता है। इस दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण मिसाइल है। इसकी रेंज 750 किलोमीटर से अधिक है। यह काफी लंबे समय तक हवा में रह सकती है और पेड़ जितनी ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है। डीआरडीओ ने निर्भय मिसाइल के अलावा देश में कुछ और महत्वपूर्ण मिसाइल सिस्टम विकसित करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है। इनमें एडवांस्ड लाइट-वेट टॉरपिडो और आकाश मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। टॉरपिडो समुद्र के अंदर दागा जाने वाली मिसाइल है। इसे जहाज या पनडुब्बी से शत्रु के जहाजों और पनडुब्बियों पर छोड़ा जाता है। टॉरपिडो को हेलिकॉप्टर से भी दागा जा सकता है। विशाखापत्तनम स्थित प्रयोगशाला द्वारा विकसित टॉरपिडो का नाम टाल (टॉरपिडो एडवांस्ड लाइट) रखा गया है। टाल मिसाइल की लंबाई करीब 2.75 मीटर है। इसका वजन 220 किलो है। इसमें 60 किलो विस्फोटक उठाने की क्षमता है। टाल पनडुब्बी-भेदी टॉरपिडो है और यह दुश्मन की पनडुब्बी की खोज करते हुए सात किलोमीटर की अधिकतम दूरी तय कर सकता है। टाल को जहाजों, हेलीकॉप्टरों और विमानों से दागा जा सकता है। टाल का विकास पूरी तरह से स्वदेशी साधनों से किया गया है। कुछ सेंसरों और सर्किट्स को छोड़ कर यह पूरी तरह से देश में ही बना है। इसे बनाने के लिए बाहर से कोई टेक्नोलॉजी उपलब्ध नहीं थी। टाल समुद्र में 33 नोट्स प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ता है और 540 मीटर की गहराई तक जा सकता है। आकाश एक विमान-भेदी रक्षा प्रणाली है। आकाश मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों से निपट सकती है। इसके आयुध का वजन 60 किलो है। दुश्मन के विमान को निशाना बनाने के लिए मिसाइल की रेंज 25 किलोमीटर है। आकाश को लक्ष्य की ओर निर्देशित करने के लिए बेंगलूर की एक डीआरडीओ प्रयोगशाला ने एक खास रेडार राजेंद्र का विकास किया है। भारत के रक्षा वैज्ञानिक बहुत जल्द हेलिना का भी परीक्षण करेंगे, जोकि टैंक भेदी नाग मिसाइल का हेलीकॉप्टर से दागे जाने वाला संस्करण है। यह मिसाइल 8 किलो वजन के आयुध के साथ चार किलोमीटर दूर तक दुश्मन के टैंकों को निशाना बना सकती है। (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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