Saturday, March 17, 2012

बजट- Why Budget is important and how finance ministry made this?



बजट- Why Budget is important and how finance ministry made this?

क्यों और कैसे बनता है हमारा बजट?

आम बजट 16 माच को पेश किया जायेगा हर साल सभी को इसका इंतजार बड़ी शिद्दत से रहता है हो भी क्यों न, आखिर इसी से तय होता है कि सरकार अपनी जनता के लिए किस तरह की नीतियों और योजनाओं की घोषणा करने वाली है सारा मामला जनता से जुड़ा होता है इसके बावजूद कइ लोग नहीं जानते हैं कि आखिर इतना महत्वपूण बजट तैया कैसे होता है? इसे गोपनीय क्यों रखा जाता है? बजट पेश होने से पहले वह किन प्रक्रियाओं से गुजरता है? आइये जानते हैं बजट की इन्हीं बारीकियों के बारे में

भारत में अगर सबसे गोपनीय कोइ सावजनिक चीज है, तो वह बजट है बजट भाषण में कही गयी बातें या बजट में पेश किये जा रहे प्रस्तावों को बेहद गोपनीय माना जाता है उन्हें ठीक उसी तरह तरह छिपाकर, संभालकर रखा जाता है दिल्ली का नॉथ ब्लॉक यानी वित्तमंत्री का दफ्तर सरकार के लिए तिजोरी की तरह है बजट आने से कुछ दिन पहले से तो इस तिजोरी की सुरषा काफी कड़ी कर दी जाती है

कितनी होती है सुरषा

बजट की सुरषा के लिए सरकार कितनी सचेत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006 से भारत की खुफिया एजेंसी आइबी के एजेंट इसकी निगरानी करते हैं वे लोग दफ्तर के बजट के लिए काम कर रहे लोगों के घरों और मोबाइल फोनों को टेप करते हैं बजट तैयार करने में लगभग एक दजन लोग काम करते हैं और वे लोग कहां जा रहे हैं, किससे मिल रहे हैं, हर बात आइबी की नजर रहती है भारत के वित्त सचिव तक की निगरानी की जाती है बजट से पहले वित्त सचिव को जेड सिक्योरिटी मुहैया करायी जाती है और आइबी नजर रखती है कि उनके आसपास क्या हो रहा है?

इ-मेल भी नहीं भेज सकते

इलेक्ट­ॉनिक युग में मुश्किलें ब़ढ गयी हैं, क्योंकि अब हर काम कंप्यूटरों के जरिये होता है कइ बार तो बजट से पहले वित्त मंत्रालय से इ-मेल भेजने तक की सुविधा भी छीन ली जाती है

छपाइ से पहले और उसके बाद

बजट तैयार हो जाने के बाद उसे छपाइ के लिए भेजा जाता है यह बात सावजनिक नहीं की जाती है कि बजट भाषण की छपाइ कब होती है हालांकि, ऐसा माना जाता है कि बजट पेश होने से 1 या 2 दिन पहले ही इसे छपाइ के लिए प्रेस में भेजा जाता है लेकिन, यह छपाइ भी किसी सामान्य सरकारी प्रेस में नहीं होती केंद्रीय बजट की छपाइ एक विशेष प्रेस में होती है, जो नॉथ ब्लॉक यानी सबसे सुरषिात जगह पर मौजूद है बेसमेंट में बनायी गयी यह विशेष प्रेस आधुनिक है जहां सारी सुविधाएं मुहैया करायी गयी हैं बजट की छपाइ के लिए जाने से लेकर बजट भाषण के प़ढे जाने तक इसे तैयार करने वाले अधिकारी लगभग कैद में रहते हैं

कइ मंत्रालय करते हैं माथापच्ची

बजट तैयार करना सिफ वित्त मंत्रालय का काम नहीं है इसके लिए कम-से -कम 5 और मंत्रालयों के अधिकारी और अलग-अलग षोत्र के विशेषज्ञ वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मदद करते हैं मसलन कानून के जानकार पूरे बजट को प़ढते हैं और बताते हैं कि कहीं एक भी शब्द संविधान के बाहर तो नहीं है यह काम कानून मंत्रालय का होता है इसलिए वित्त मंत्री जब बजट भाषण प़ढने संसद में जाते हैं, तो अपना मरून रंग का ब्रीफकेस फोटोग्राफरों को दिखाते हैं उस ब्रीफकेस की अहमियत यही है कि उसके अंदर देश का सबसे गोपनीय दस्तावेज बंद होता है

आखिर क्यों होती है इतनी गोपनीयता

भारत में कइ सालों से यह बहस चल रही है कि बजट के लिए जिस तरह की गोपनीयता बरती जाती है वह फिजूल है और उससे बाजार में सिफ डर पैदा होता है जब प्रशासन में पारदशिता की बात की जा रही है, तो इस तरह की गोपनीयता बरतना विरोधाभास पैदा करता है ऐसा इसलिए भी है कि कइ देशों में बजट ऐसा गोपनीय मुद्दा नहीं है, जैसा भारत में है मसलन अमेरिका में तो राष्ट­पति लोगों का समथन जुटाने के लिए अकसर सावजनिक रूप से बताते हैं कि वह बजट में क्या करना चाहते हैं

विभित्र देशों में सालाना बजट को बड़े खुलासे करने वाले अहम मौके के तौर पर नहीं देखा जाता इसे सरकारें सालभर का लेखा-जोखा पेश करने और यह बताने के लिए इस्तेमाल करती हैं कि अगले साल कहां-कहां वह किस तरह खच करना चाहती है लेकिन, कब क्या और कहां खच करना है इसका फैसला साल के किसी भी वक्त हो सकता है भारत में पिछले दो तीन साल में ऐसा होने भी लगा है


क्या आप जानते हैं?

आजादी से पहले अंग्रेजों के समय में बजट शाम को पांच बजे पेश किया जाता था ऐसा इसलिए था कि यह बजट इंग्लैंड में भी सुना जाता था और भारत में शाम के समय वहां सुबह रहती थी आजादी के बाद भी शाम को पांच बजे बजट पेश किया जाता था, लेकिन वष 1999-2000 में यशवंत सिन्हा ने पहली बार सुबह के समय बजट पेश कियामोरारजी देसाइ ने 1964 और 1968 में अपने जन्म के अवसर पर आम बजट पेश किया था इंदिरा गांधी एकमात्र महिला हैं, जिन्होंने संसद में बजट पेश किया था उन्होंने 1970 में आपातकाल के दौरान यह बजट पेश किया था पहले बजट दो भागों में होता था, पाट-ए और पाट-बी दूसरा भाग जनता से संबंधित होता था अब बजट भाषण एक ही भाग में होता हैआजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था यह एक अंतरिम बजट था इसे आरके षणमुगम चेट्टी ने पेश किया था वहीं, जॉन मथाइ को भारतीय गणतंत्र का पहला बजट पेश करने का Ÿोय जाता है उन्होंने 28 फरवरी 1950 को बजट पेश किया था बजट पेश करने की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की होती हैबजट की तारीख राष्ट­पति तय करता है भाषण प़ढने के लिए लोकसभा अध्यषा द्वारा वित्तमंत्री को आमंत्रित किया जाता है सुबह 11 बजे वित्तमंत्री अपना बजट भाषण शुरू करते हैं यदि बजट प्रस्ताव संसद में पारित नहीं होने की स्थिति में इसका मतलब सरकार के गिराने से लगाया जाता है ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता हैवित्तमंत्री बजट को पहले लोकसभा में पेशकरता है और बाद में इसे राह्लयसभा में भी पेश किया जाता है बजट आमतौर पर फरवरी के अंतिम तारीख को ही संसद के पटल पर रखा जाता है, क्योंकि नया वित्त वष अप्रैल से शुरू होता है और इस तरह चचा के लिए एक महीने का समय मिल जाता हैआजादी के पहले भारतीय प्रप्रतिनिधियों को बजट भाषण पर बहस करने का अधिकार नहीं था 1920 तक केंद्र स्तर पर केवल एक ही बजट बनता था सबसे पहले 1921 में पहली बार सामान्य बजट से रेल बजट को अलग किया गया उसके बाद से अभी तक रेल बजट अलग से पेश किया जाता है16 माच को जब वित्त मंत्री प्रणब मुखजीर्त् लोकसभा में बजट पेश करेंगे, तो वह सात बार आम बजट पेश करने वाले वित्तमंत्रियों की सूची में शामिल हो जायेंगे उनसे पहले यशवंत सिन्हा सात बार बजट पेश कर चुके हैं हालांकि, संसद में सबसे ह्लयादा बार बजट पेश करने का रिकॉड मोरारजी देसाइ के नाम दज है उन्होंने दस बार बजट पेश किया था

संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत बजट पेश किया जाता है हमारे देश में बजट पद्धति की शुरुआत का Ÿोय ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय लॉड कैनिंग को जाता है हालांकि, भारत का पहला बजट जेम्स विल्सन ने वायसराय परिषद् में 18 फरवरी 1860 को पेश किया था इसी कारण जेम्स विल्सन को भारतीय बजट पद्धति का संस्थापक भी कहा जाता है l

'आम बजट' की बारीकियां

आगामी 16 माच को संसद में आम बजट पेश किया जायेगा भारत में बजट एक अधिक पारदशी और परिणाममूूूलक आथिक प्रबंधन प्रणाली है, जिसमें सरकार के खर्चो के ब्योरे के साथ-साथ आगामी खच के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाती है जनता के लिए तैयार किया जाने वाला यह बजट किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है इन्हीं बिंदुओं की पड़ताल करता आज का नॉलेज

नॉलेज डेस्क

बजट यह शब्द कानों में पड़ने पर एक ऐसी छवि सामने उभरती है कि देश का वित्तमंत्री ब्रीफकेस लिए संसद के सामने खड़ा है इसी ब्रीफकेस में साल भर में सरकार द्वारा की जाने वाली खचे का ब्योरा, राजस्व की लाभ-हानि और तमाम परियोजनाओं की जानकारी बंद होती है सीधे शब्दों में कहें तो संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाने वाला वाषिक वित्तीय विवरण 'आम बजट' कहलाता है इस विवरण में एक वित्तीय वष (1 अप्रैल से 31 माच) की अवधि शामिल होती है हमारे देश में यह वित्तीय वष की शुरुआत हर साल 1 अप्रैल से होती है और 31 माच आखिरी दिन होता है इसी विवरण में वित्तीय वष के लिए भारत सरकार के अनुमानित व्यय (खच) और प्राप्तियों (आय) का लेखा-जोखा होता है

क्यों है बजट की आवश्यकता

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सरकार अपनी मजीर्त् से कोइ योजना शुरू करती है, टैक्स लगाती है, कज लेती है या राशि खच करती है चूंकि, प्रत्येक संसाधनों की एक सीमा है इसीलिए सीमित संसाधनों को सरकार की विभित्र गतिविधियों में आवंटित करने के लिए उचित बजट बनाने की जरूरत पड़ती है व्यय यानी खच के प्रत्येक मद पर अच्छी तरह सोच विचार किया जाता है एक तय अवधि के लिए राशिखच का अनुमान लगाया जाता है यानी सरकारी राजस्व को योजनाबद्ध तरीके से खच करने के लिए बजट की जरूरत पड़ती है

बजट में शामिल खच का अनुमान लोकसभा में पेश किया जाता है, जो अनुदान मांग के रूप में जाना जाता है इन मांगों को हर मंत्रालयों के पास भेजा जाता है और प्रमुख सेवाओं में से हर मंत्रालय के लिए एक अलग मांग पेशकी जाती है प्रत्येक मांग में कुल अनुदान का विवरण सबसे पहले रखा जाता है और इसके बाद विस्तृत अनुमानों के विवरण को मदों में बांटा जाता है यहां एक सवाल यह भी उठता है कि क्या सरकार अपनी मजीर्त् से जब चाहे बजट पेशकर सकती है ऐसा बिल्कुल नहीं है संसद में राष्ट­पति द्वारा नियत तिथि पर बजट प्रस्तुत किया जाता है वित्तमंत्री का बजट भाषण आम तौर पर दो भागों में होता है पहले भाग में देश का सामान्य आथिक सवेषाण होता है, जबकि दूसरे भाग में टैक्स से संबंधित प्रस्ताव शामिल होते हैं

लेखानुदान

संसद में बजट पर चचा अचानक शुरू नहीं होती है सबसे पहले लेखानुदान पेश किया जाता है, उसके बाद ही उस पर चचा शुरू होती है लेखानुदान के तहत एक विशेष प्रावधान बनाया गया है, जिससे सरकार वष के एक भाग के लिए विभित्र मदों पर खच करने की पयाप्त राशि आवंटित करती है

अब इस चचा की बात करें, तो यह दो चरणों में की जाती है पहले चरण में, बजट पर कुल मिलाकर एक आम चचा, जो लगभग 4 से 5 दिनों तक चलती है इस चरण पर बजट की व्यापक रूपरेखा और इसमें निहित सिद्धांतों और नीतियों पर चचा की जाती है

रेल और आम बजट पर सामान्य चचा के पहले चरण के पूरा हो जाने पर सदन एक नियत अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाता है इस अवधि के दौरान रेल सहित विभित्र मंत्रालयों एवं विभागों की अनुदान मांगों पर संबंधित स्थायी समितियों द्वारा विचार किया जाता है यह विचार संसद के नियम 331 जी के तहत किया जाता है इन समितियों को अधिक समय लिए बिना निश्चित अवधि के अंदर संसद के सदन में अपनी रिपोट पेश करनी होती है स्थायी समितियों द्वारा अनुदान मांगों पर विचार की यह प्रणाली वष 1993-94 के बजट से शुरू हुइ थी स्थायी समितियों का गठन 31 सदस्यों को लेकर किया जाता है, जिसमें लोकसभा के 21 और राह्लयसभा के 10 सदस्य होते हैं स्थायी समितियों की रिपोट सटीक होती है इस रिपोट में कटौती के किसी स्वरूप का सुझाव नहीं होता है स्थायी समितियों की रिपोट सदन में प्रस्तुत करने के बाद सदन में अनुदान मांगों पर चचा और मतदान का काम मंत्रालयवार किया जाता है

इस प्रक्रिया के अलावा, विभित्र अनुदान मांगों में कटौती का प्रस्ताव भी पेश किया जा सकता है ऐसा इसलिए होता है ताकि अथव्यवस्था के आधार पर या नीति के मामलों में विचारों में अंतर होने पर या एक शिकायत को आवाज देने के लिए सरकार द्वारा मांगी गयी राशि में कटौती की जा सके

विनियोजन विधेयक

बजट प्रस्तावों पर आम चचा और अनुदान मांगों पर मतदान होने के बाद सरकार द्वारा विनियोजन विधेयक पेश किया जाता है विनियोजन विधेयक का मतलब यह होता है कि सरकार को भारत की समेकित निधि से खच करने का अधिकार मिल जाता है इस विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया भी वही है, जो अन्य धनराशि से संबंधित विधेयकों के लिए अपनायी जाती है

बजट में सरकार सिफ योजनाओं की ही घोषणा नहीं करती है, बल्कि वह राजस्व प्राप्ति के लिए करों में ब़ढोतरी या उससे संबंधित अन्य प्रस्ताव भी पेश करती है इसे सामान्य शब्दों में 'वित्त विधेयक' के नाम से जाना जाता है आमतौर पर, सरकार के कराधान प्रस्तावों को प्रभावी बनाने के लिए इसे लोकसभा में लाया जाता है विनियोजन विधेयक के पारित होने के बाद इसे पारित किया जाता है

एक प्रस्ताव पूरक या अतिरिक्त अनुदान से भी संबंधित होता है दरअसल, संसद द्वारा अधिकृत राशि के अलावा कोइ भी खच संसद की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता है जब भी अतिरिक्त व्यय करने की आवश्यकता होती है, तो संसद के सामने एक पूरक अनुमान लाया जाता है यदि वित्तीय वष के दौरान उस सेवा और उस वष के लिए दी गयी राशि से अतिरिक्त खच किया जाता है तो उसके लिए पूरक या अतिरिक्त अनुदान मांगें पेश की जाती हैंl

क्या हैं इसके महत्वपूण प्रावधान?

बजट में कुछ ऐसे प्रावधान होते हैं, जिसकी जानकारी हमें बहुत ही कम होती है लेकिन, बजट पेश करते समय इनका जिक्र अकसर हमें सुनने को मिलते हैं

वाषिक आथिक ब्योरा- यह बजट का विवरण होता है आमतौर पर इसे 'आथिक ब्योरा' भी कहते हैं

अनुदान की मांग - समेकित कोष के लिए अनुमानित खच को भी बजट ब्योरे में शामिल किया जाता है इसे लोकसभा के पटल पर रखा जाता है और सदस्यों के मतों के आधार पर इसे पारित किया जाता है सामान्यत: किसी मंत्रालय या विभाग या सेवा को भी इसमें शामिल करके प्रस्तुत किया जा सकता है

बजट प्राप्तियां - इसमें सालाना आथिक ब्योरे के आधार पर अनुमानित बजट मांग को विस्तार से समझाया जाता है और उसका विश्लेषण भी पेश किया जाता है इसमें पूंजी और प्राप्तियों को शामिल किया जाता है और उनके बाह्य मूल्यांकन की विस्तृत रिपोट रखी जाती है

बजट व्यय भाग 1 - इस भाग में नियोजित और अनियोजित पूंजी लागत के अनुमानित खच के बारे में और उनमें अंतर पर विस्तार से जानकारी दी हुइ होती है इसमें सामान्य खच, अनियोजित खच और योजना पर होने वाले खचे के बारे में जानकारियां होती हैं इस दस्तावेज में लिंग आधारित मदों और योजनाओं, बाल विकास एवं केंद्र सरकार की गारंटी में चल रही योजनाओं में माच महीने के अंत तक बची हुइ राशि का विवरण में होता है

बजट व्यय भाग 2 - अनुदानों की मांग के लिए सबसे पहले कइ योजनाओं पर होने वाले अनुमानित खच का संषिाप्त ब्योरा दिया जाता है, जिसके आधार पर इसे स्वीकार किया जाता है लेकिन, इसके लिए पिछले वर्षो और वतमान में आये बदलावों की तुलना और विश्लेषण किया जाता है

वित्त विधेयक - संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (अ) में इस बात का प्रावधान है कि सरकार जरूरत के मुताबिक, बजट में नये कर प्रस्तुत कर सकती है साथ ही, उनमें बदलाव यानी उनकी दर में ब़ढोतरी या कमी कर सकती है इसके लिए सरकार को संसद में ज्ञापन संलग्न करना पड़ता है

वित्त विधेयक में प्रावधान की व्याख्या का ज्ञापन - इस ज्ञापन को सरकार संसद में करों के प्रावधान और जरूरत के विषय में जरूरी दस्तावेज के रूप में वित्त विधेयक में शामिल करती है इसमें यह बताया जाता है कि किसी कर को क्यों लगाया जा रहा है

बजट एक नजर में - इस दस्तावेज में सरकार की आय और व्यय का पूण उल्लेखहोता है इसमें बताया जाता है कि विभित्र मदों, कर और प्रत्यषा एवं अप्रत्यषा राजस्व से सरकार को कितनी आय हुइ है साथ ही, यह भी बताया जाता है कि वतमान वष में कितना व्यय किया जायेगा नियोजित और अनियोजित खर्चो का विवरण भी इसमें दिया रहता है विभित्र मंत्रालयों, विभागों और केंद्र शासित प्रदेशों के संसाधनों में होने वाले व्यय को भी इसमें शामिल किया जाता है इस दस्तावेज में राजस्व में हुइ हानियों को भी शामिल किया जाता है

बजट के मुख्य बिंदु - बजट में मुख्य रूप से विभित्र आथिक षोत्रों में हुए लाभ, नयी योजनाएं, जरूरी षोत्रों के लिए आवंटन और प्रस्तावित करों का विवरण होता है

वित्त मंत्री के बजट भाषण में की गयी घोषणाओं के क्रियान्वयन की स्थिति - इस दस्तावेज में पिछले वष के बजट भाषण में की गयी घोषणाओं और उनके क्रियान्वयन की स्थिति का विवरण दिया जाता है इसमें संबंधित वष में फरवरी महीने के पहले हफ्ते की स्थिति का विवरण भी रहता है

वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम से संबंधित दस्तावेज-

1 माइक्रो आथिक संरचना वक्तव्य 2 मध्यावधि राजकोषीय नीति

3 राजकोषीय नीति रणनीति स्टेटमेंट

वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम के अनुच्छेद 2(5), 3(4), 3(3) और 3(2) के मुताबिक, अथव्यवस्था में विकास का अनुमान और उसके लिए उचित रणनीति बनाना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है सरकार यह भी सुनिश्चित करती है कि कर, निवेश और मूल्यों को नियंत्रित रखा जाये

यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सकल घरेलू उत्पाद और बाजार मूल्यों से संबंधित तीन वष का लक्ष्य तय करे इसका संबंध राजस्व घाटा, आय में कमी, सकल घरेलू उत्पाद और कर एवं वष के अंत में ऋण और वित्तीय घाटे से हैl


No comments:

Post a Comment


Popular Posts

Total Pageviews

Categories

Blog Archive